द्वारका के भूले हुए शहर से निकली शापित काली प्रतिमा: मुंबई में राक्षसी आतंक का प्रकोप!

द्वारका के भूले हुए शहर से निकली शापित काली प्रतिमा: मुंबई में राक्षसी आतंक का प्रकोप!

सन् 1987 की गर्मियों की बात है। गुजरात के तट पर, द्वारका के प्राचीन, लगभग भूले हुए शहर में, एक पुरातात्विक खुदाई टीम एक अविश्वसनीय खोज करती है – एक काली माता की मूर्ति, जिस पर सदियों पुराने शाप की छाया मंडरा रही है। यह मूर्ति, काले पत्थर से बनी, किसी अज्ञात शिल्पकार द्वारा बनाई गई थी, जिस पर अनोखे रन और प्रतीक खुदे हुए थे। खंडहरों से निकलने के साथ ही, मुंबई के कोनों-कोनों में एक अजीबोगरीब डर फैलने लगा।

प्राचीन ग्रंथों में मिलने वाले वर्णन के अनुसार, यह काली की मूर्ति नहीं, बल्कि एक राक्षसी शक्ति का अवतार थी। इस मूर्ति के साथ एक कहानी जुड़ी थी, जो पीढ़ी दर पीढ़ी मुंह-ज़ुबानी चलती आई थी। कहा जाता था कि जो भी इस मूर्ति को छुएगा या उसकी पूजा करेगा, उसे राक्षसी शक्तियों के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा। उस खुदाई टीम के कई सदस्यों को अजीब बीमारियों और दुःस्वप्नों ने घेर लिया था। कुछ सदस्य पूरी तरह से पागल हो गए, और कई ने आत्महत्या कर ली।

लेकिन, शापित मूर्ति की कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। जैसे-जैसे मूर्ति की कहानी दूर-दूर तक फैली, वैसे-वैसे मुंबई में अजीबोगरीब घटनाएं घटने लगीं। लोग अचानक से पागल होने लगे, बेतहाशा चीखने-चिल्लाने लगे, अपने ही घरवालों पर हमला करने लगे। अस्पतालों में भर्ती मरीजों में एक अजीब सा भूत प्रवेश करने लगा, और वे अस्पताल के कर्मचारियों पर भी हमला करने लगे।

एक युवा पत्रकार, रिया, इस रहस्यमयी घटनाक्रम को समझने के लिए आगे आई। उसका मानना था कि यह सब कुछ उस शापित मूर्ति से जुड़ा हुआ है। उसने पुराने ग्रंथों और आध्यात्मिक गुरुओं से सहायता ली। रिया ने पाया कि काफी सारे लोग शापित मूर्ति के प्रभाव में आ चुके थे, और वे राक्षसों के नियंत्रण में थे।

रिया की खोजों के दौरान पता चला कि मूर्ति एक प्राचीन यंत्र थी, जो राक्षसों को मुक्त करने के लिए बनाई गई थी। इस मूर्ति को उस शहर के एक गुप्त संग्रहालय में रखा गया था, जहां यह सब शुरू हुआ था। मुंबई की गलियों में डर का महौल बन गया था। हर कोने पर एक भयानक छाया मंडरा रही थी।

रिया ने एक प्राचीन तांत्रिक से संपर्क किया, जिसकी सहायता से उसने उस शापित मूर्ति के प्रभाव को समझने की कोशिश की। तांत्रिक ने बताया कि इस मूर्ति को शांत करने के लिए एक विशेष विधि का पालन करना होगा। इस विधि में प्राचीन मंत्रों का जाप और विशेष यज्ञ शामिल थे।

अगले कुछ दिन रिया ने अपने जीवन का सबसे कठिन संघर्ष किया। वह राक्षसों के प्रकोप का सामना करते हुए उस विशेष विधि को पूरा करने में लग गई। इस संघर्ष में उसे कई बार मौत का सामना करना पड़ा, लेकिन अपनी हिम्मत नहीं हारी।

अंततः, रिया सफल हुई। उसने उस शापित मूर्ति को शांत कर दिया, और मुंबई पर मंडरा रहे राक्षसी आतंक का अंत कर दिया। लेकिन इस घटना ने उसके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। वह जान गई कि कुछ शक्तियां ऐसी होती हैं, जिनका सामना करना बहुत मुश्किल होता है।

इस घटना के बाद, रिया ने अपनी खोजों को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया। यह पुस्तक आज भी लोगों में डर और रोंगटे खड़े करने वाली कहानियों के लिए याद की जाती है। यह कहानी मुंबई के डर और रहस्य से भरे इतिहास की एक अद्भुत गवाही है।

लेकिन, क्या वास्तव में सब कुछ खत्म हो गया था? क्या शापित मूर्ति का प्रभाव सदा के लिए खत्म हो गया था? या यह सिर्फ एक नई शुरुआत थी? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब आज भी एक रहस्य है।

कहानी यहाँ खत्म नहीं होती... एक नई शुरुआत का इंतज़ार है...

(Note: This content is fictional and intended for entertainment purposes only.)


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