उत्तराखंड के बर्फीले पहाड़ों में, जहाँ हिमालय की ऊँची चोटियाँ आसमान को छूती हैं, एक ऐसी कहानी छिपी हुई है जो सदियों से गुप्त रही है। एक लापरवाह पुरातत्वविद् की खोज ने एक ऐसे श्राप को उजागर किया है जो प्राचीन काल से येति से जुड़ा हुआ है, और अब यह उत्तराखंड के निर्दोष गांवों पर छा जाने वाला है।
डॉ. विजय सिंह, एक महत्वाकांक्षी लेकिन लापरवाह पुरातत्वविद्, हिमालय के सबसे दुर्गम क्षेत्रों में येति के अस्तित्व के प्रमाण खोजने के लिए निकला। वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद, उसे एक गुप्त गुफा मिली, जहाँ सदियों से एक प्राचीन मंदिर छिपा हुआ था। मंदिर के भीतर, उसे एक पत्थर की पट्टिका मिली, जिस पर एक अजीबोगरीब भाषा में लिखा हुआ था। अनुवाद के बाद, पता चला कि यह पट्टिका एक प्राचीन श्राप का वर्णन करती है जो येति के साथ जुड़ा हुआ है।
श्राप के अनुसार, यदि येति का निवास स्थान परेशान किया जाता है, तो एक प्राचीन बुराई जागृत होगी जो उत्तराखंड के गांवों पर विनाश लाएगी। पट्टिका में लिखे अनुसार, यह बुराई भूकंप, बाढ़, और अकाल के रूप में प्रकट होगी, जिससे क्षेत्र तबाह हो जाएगा। डॉ. सिंह की खोज ने अनजाने में इस प्राचीन श्राप को सक्रिय कर दिया है।
श्राप के प्रकट होने के संकेत दिखाई देने लगे हैं। गांवों में अजीबोगरीब घटनाएँ हो रही हैं। पशुओं की अचानक मौत हो रही है, फसलें सूख रही हैं, और गांवों में एक अजीब सा डर छा गया है। रात के समय, अजीब सी आवाजें सुनाई देती हैं, और लोग अंधेरे से डरने लगे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि येति की आत्मा उन पर प्रहार कर रही है।
गांव के बुजुर्गों ने बताया कि येति, हिमालय की एक रहस्यमयी प्राणी है, जो सदियों से इन पहाड़ों में रहता आया है। वे मानते हैं कि येति, पहाड़ों का रक्षक है, और उसकी शांति भंग करने से भयंकर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। डॉ. सिंह की लापरवाही ने येति को नाराज कर दिया है, और अब वह अपनी शक्ति से गांवों पर प्रहार करने वाला है।
गांव वाले डरे हुए हैं और मदद की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन मदद कहाँ से आएगी? क्या कोई इस प्राचीन श्राप को रोक पाएगा? क्या डॉ. सिंह अपनी गलती सुधार पाएगा? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब अभी तक नहीं मिला है। इस रहस्यमयी घटनाक्रम ने उत्तराखंड के गांवों में भय और अनिश्चितता का माहौल बना दिया है।
इस बीच, डॉ. सिंह को अपने किए का पछतावा हो रहा है। उसे एहसास हो गया है कि उसकी महत्वाकांक्षा ने उसे कितना अंधा बना दिया था। वह अब इस श्राप को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। लेकिन समय कम होता जा रहा है, और प्राचीन बुराई और भी शक्तिशाली होती जा रही है।
उत्तराखंड के लोग प्राचीन रीति-रिवाजों और प्रार्थनाओं का सहारा ले रहे हैं, ताकि वे इस प्राचीन बुराई से बच सकें। वे येति से क्षमा माँग रहे हैं और उसकी शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। लेकिन क्या ये पर्याप्त होगा? क्या येति उन्हें क्षमा करेगा और इस श्राप को रोक पाएगा?
यह कहानी उत्तराखंड के रहस्यमयी पहाड़ों में छिपे हुए एक ऐसे भयानक श्राप की याद दिलाती है, जो सदियों से सोया हुआ था। यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं, और हमें प्रकृति और उसके रहस्यों का आदर करना चाहिए। डॉ. सिंह की कहानी एक चेतावनी है, एक सबक जो हमें हमेशा याद रखना चाहिए।
क्या डॉ. सिंह इस प्राचीन श्राप को रोक पाएगा? क्या उत्तराखंड के गांवों को इस बुराई से बचाया जा सकेगा? यह सवाल अब भी बना हुआ है, और इस कहानी का अंत अभी तक नहीं लिखा गया है। यह एक कहानी है जो हमें सोचने पर मजबूर करती है, और हमारे अंदर एक डर पैदा करती है, जो हमें उत्तराखंड के रहस्यमयी पहाड़ों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है।