कुमाऊँ के हरे-भरे हिमालयी पहाड़ों में, जहाँ समय की धारा धीमी गति से बहती है, एक ऐसी कहानी छिपी है जो पीढ़ियों से गुजरती आ रही है। यह कहानी है एक भूली हुई भविष्यवाणियों की, एक ऐसी देवी की जो बदला लेने के लिए जागृत हुई थी। एक प्राचीन शिव मंदिर के अपवित्र होने से, एक भयानक शाप ग्रामीणों पर आ गया था, उनकी जीवनशैली को पूरी तरह से बदलकर रख दिया था।
कहते हैं कि सदियों पहले, कुमाऊँ के एक दुर्गम गाँव में एक प्राचीन शिव मंदिर था, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और शांति के लिए जाना जाता था। इस मंदिर में एक शक्तिशाली देवी की मूर्ति भी विराजमान थी, जिसे स्थानीय लोग 'माँ पार्वती' के रूप में पूजते थे। लेकिन एक दिन, कुछ लालची लोगों ने इस मंदिर को लूटा और उसमें भयानक अपवित्रता की। देवी की मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया, और मंदिर को तोड़ दिया गया।
इस अपवित्रता के साथ ही, एक प्राचीन भविष्यवाणी जागृत हुई। कहा जाता है कि अगर कभी मंदिर का अपमान होगा, तो देवी का क्रोध उतरेगा और वह उन पर भयानक शाप लगाएंगी जो इस अपराध में शामिल थे। ग्रामीणों ने शुरू में इस भविष्यवाणी को अनदेखा कर दिया, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, उन्होंने अजीब घटनाएँ देखनी शुरू कर दीं।
पहले, फसलें सूखने लगीं और जानवर बीमार होने लगे। फिर, गांव में रहस्यमयी बीमारियाँ फैलने लगीं, जिनका कोई इलाज नहीं था। बच्चों का रोना रात भर सुनाई देने लगा, और एक अजीब सी ठंडी हवा गांव में बहने लगी। लोग डर के मारे कांपने लगे, क्योंकि वे समझ गए थे कि माँ पार्वती का क्रोध उन पर आ गया है।
ग्रामीणों ने अपनी गलती का एहसास किया और माँ पार्वती से क्षमा मांगने के लिए प्रार्थनाएँ कीं। उन्होंने मंदिर को फिर से बनवाया और देवी की क्षतिग्रस्त मूर्ति को साफ किया। लेकिन देवी का क्रोध इतना भयंकर था कि वह इतनी आसानी से शांत नहीं हुई। शाप का प्रभाव अभी भी गाँव पर बना रहा।
अब, पीढ़ियों बाद भी, कुमाऊँ के लोग इस भूली हुई भविष्यवाणी की कहानी सुनाते हैं। वे बताते हैं कि कैसे देवी का क्रोध अभी भी गाँव पर छाया हुआ है, और कैसे उन लोगों को सजा मिली जो मंदिर के अपवित्रता में शामिल थे। यह कहानी एक सबक है, जो हमें बताती है कि प्राकृतिक और धार्मिक सम्पदा का सम्मान कितना जरुरी है।
कुछ कहते हैं कि आज भी रात के अँधेरे में, मंदिर के खंडहरों में देवी की आवाज़ सुनाई देती है, जो उन लोगों को चेतावनी देती है जो इस पवित्र स्थान का अपमान करने की हिम्मत करते हैं। और कुछ लोगों का मानना है कि देवी का शाप अभी भी गाँव पर है, जिसके कारण कई रहस्यमयी घटनाएँ घटती रहती हैं।
यह कहानी कुमाऊँ के रहस्यों में से एक है जो पीढ़ियों से गुजरती आ रही है, और शायद हमेशा के लिए बनी रहेगी। यह एक भयावह और रहस्यमयी कहानी है, जो हमें याद दिलाती है कि प्रकृति और धार्मिक आस्था का सम्मान करना कितना आवश्यक है। यह कहानी हमारे अंदर एक डर और जिज्ञासा दोनों ही पैदा करती है, जो हमें इस हिमालयी क्षेत्र के अज्ञात रहस्यों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है।
इस कहानी का अंत नहीं है, यह हमेशा जारी है। हर पीढ़ी इस कहानी को अपनी तरह से सुनाती है, और हर कहानी में एक नया रहस्य छुपा होता है। यह कहानी हमेशा कुमाऊँ के लोगों के दिलों में जिंदा रहेगी, एक याद दिलाती है कि प्रकृति का सम्मान करना कितना जरुरी है, और धार्मिक आस्था को कभी भी कम आंकना नहीं चाहिए।
कुमाऊँ के पहाड़ों की ऊँचाइयों पर, जहाँ बर्फ से ढके शिखर आसमान को छूते हैं, इस कहानी का अस्तित्व बना रहता है, एक रहस्यमयी और भयावह ताकत के साथ, जो हमें हमारे अंदर के डर और जिज्ञासा दोनों को ही जगाती है।
शायद ही कोई ऐसी रात बीतती होगी जब कुमाऊँ के गांवों में यह कहानी ना सुनाई जाती हो, और ना ही कोई ऐसी पीढ़ी बीतती होगी जो इस कहानी को ना जानती हो। यह कहानी कुमाऊँ की धरती का एक हिस्सा है, उसकी आत्मा का एक अंग, जो हमेशा के लिए यहाँ बना रहेगा।
तो आइये, एक बार फिर से कुमाऊँ के पहाड़ों की ओर चलते हैं, और इस कहानी को एक बार फिर से सुनते हैं, और खुद को उस रहस्यमयी दुनिया में खो देते हैं, जो सदियों से कुमाऊँ की धरती पर विराजमान है। एक ऐसी दुनिया जो डर से भरी है, लेकिन साथ ही एक अनोखे आकर्षण से भी युक्त है।
कहानी का अंत नहीं है, यह हमेशा जारी है। कुमाऊँ के पहाड़ों में, इस कहानी के रहस्य हमेशा जिंदा रहेंगे, एक रहस्यमयी धुंध में छिपे हुए, इंतजार करते हुए की कोई उन्हें खोजे, और उनकी सच्चाई को जानने की कोशिश करे।