हिमालय की ऊँची चोटियों के बीच, जहाँ बर्फ के विशाल शिखर आकाश को छूते हैं, वहाँ एक ऐसा रहस्य छिपा है जो सदियों से लोगों के दिलों में डर और उत्सुकता भरता आया है। यह है डायटलोव दर्रा का रहस्य, एक ऐसी घटना जिसने दुनिया भर के जाँचकर्ताओं और रहस्य प्रेमियों को हैरान कर रखा है। हालांकि यह घटना रूस के उराल पर्वत में हुई थी, लेकिन हम इसे एक भारतीय संदर्भ में, हिमालय के रहस्यमय परिवेश में रखकर, एक नई कहानी रच सकते हैं।
कल्पना कीजिए: वर्ष 1959, हिमालय के एक दूरस्थ क्षेत्र में, नौ साहसी छात्रों का एक समूह अपने सर्दियों के अभियान पर निकलता है। ये छात्र, भारत के विभिन्न हिस्सों से आये हुए, अनुभवी पर्वतारोही नहीं, परन्तु उत्साही और साहसी हैं। उनके नेता, एक कुशल पर्वतारोही, राहुल, उनकी सुरक्षा और मार्गदर्शन की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। उनके साथ हैं प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान रखने वाली शोध छात्रा, अंजलि, जो पर्वतों की रहस्यमय कहानियों और स्थानीय लोककथाओं में दिलचस्पी रखती है।
उनकी यात्रा शुरू होती है एक शांत, बर्फीले सुबह में। प्रकृति की सुंदरता और चुनौतियों से भरी यह यात्रा धीरे-धीरे भयावह रूप लेती जाती है। उन्होंने अपने शिविर में अजीब सी आवाज़ें सुनी, अंधकार में भयानक परछाईयाँ देखी, और हवा में एक असामान्य ठंड महसूस की। अंजलि ने अपने प्राचीन ग्रंथों में इस क्षेत्र से जुड़ी कुछ ऐसी कथाएँ पढ़ीं थीं जो उनकी चिंता को और बढ़ा देती हैं। वह बताती है कि कैसे इस क्षेत्र में एक प्राचीन शाप है, जो उन लोगों पर आता है जो पर्वतों के रहस्यों का अनादर करते हैं।
एक रात, तूफान ने शिविर पर हमला कर दिया। जब सुबह हुई, तो शिविर पूरी तरह से तबाह हो गया था। नौ छात्रों में से कुछ लापता थे, जबकि बाकी मृत मिले। लेकिन सबसे डरावना ये था कि उनके शवों की स्थिति अजीब और भयावह थी। कुछ के शरीर कटे हुए थे, कुछ के अंगों के निशान गायब थे, और कुछ के चेहरे पर एक अजीब सी भयानक मुस्कान थी। यह ऐसा था जैसे किसी अलौकिक शक्ति ने उन पर हमला किया हो।
जांच शुरू हुई, लेकिन कोई भी संभावित व्याख्या इस घटना की गहराई को नहीं समझ पाया। क्या यह किसी जानवर का हमला था? या कुछ और, कुछ अधिक भयावह? अंजलि के प्राचीन ग्रंथों में एक ऐसा भविष्यवाणी मिली जिसमें इस क्षेत्र में एक प्राचीन, भयानक शक्ति का ज़िक्र था, जो धरती के रहस्यों को छेड़ने वालों को सज़ा देती है। क्या यह शाप था? क्या नौ छात्रों ने अनजाने में पर्वतों की शांति भंग कर दी थी?
यह रहस्य आज भी बना हुआ है। डायटलोव दर्रा की घटना एक चेतावनी बन गयी है, जो हमें प्रकृति की शक्ति और अदृश्य दुनिया के रहस्यों के बारे में सोचने पर मजबूर करती है। हिमालय की छाया में छिपे इस रहस्य ने सदियों से डर और उत्सुकता दोनों को जन्म दिया है। क्या यह सचमुच एक प्राचीन शाप था? या यह कोई अनसुलझी पहेली है जो हमेशा के लिए अनसुलझी रहेगी?
इस कहानी को यहाँ तक खत्म नहीं किया जा सकता है। इस घटना के कई विवरण कभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुए। क्या छात्रों ने अपनी मौत से पहले किसी भयावह से मुलाकात की थी? क्या उन्हें किसी अलौकिक शक्ति ने निशाना बनाया था? क्या पहाड़ों में ऐसी शक्तियाँ मौजूद हैं जिनके बारे में हम कभी नहीं जान पाएँगे?
डायटलोव दर्रा की घटना एक भयानक रहस्य है, जो हिमालय की छाया में छिपे अनेक अनसुलझे सवालों को उजागर करता है। यह एक कहानी है जो हमें प्रकृति के सामने हमारी नाजुकता और अदृश्य दुनिया के रहस्यों के सामने हमारे अज्ञान की याद दिलवाती है।